मुंबई, 11 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को कहा कि वे ऑपरेशन सिंदूर के तहत गठित प्रतिनिधिमंडल में किसी राजनीतिक दल या नेता की ओर से नहीं, बल्कि देश का पक्ष रखने गए थे। उन्होंने कहा कि देश के हित के मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए और हर नागरिक को राष्ट्र के पक्ष में खड़ा होना चाहिए। एजेंसी ANI से बातचीत में ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री और भाजपा देश से बड़े नहीं हैं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक मतभेद विचारधारा के स्तर पर रहेंगे, लेकिन जब बात देश के हित की हो, तो सभी को एकजुट रहना चाहिए। ओवैसी ने बताया कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के प्रशिक्षित आतंकवादी शामिल थे, जिन्होंने निर्दोष लोगों की हत्या की। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में वे हमेशा भारत का पक्ष रखने के लिए तैयार रहते हैं।
ओवैसी ने कहा कि अमित शाह द्वारा मुस्लिम आबादी को लेकर दिया गया बयान गलत है। उन्होंने बताया कि 1951 से 2011 तक मुस्लिम जनसंख्या में केवल 4.4% की वृद्धि हुई है, जबकि सरकारी आंकड़े बताते हैं कि मुस्लिमों की प्रजनन दर सबसे तेजी से घटी है। उन्होंने कहा कि अगर कोई देश में घुसपैठ कर रहा है, तो सरकार की जिम्मेदारी है कि उसे रोके, न कि हर बंगाली भाषी भारतीय मुस्लिम को बांग्लादेशी कह दिया जाए। अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ को लेकर ओवैसी ने कहा कि यह सरकार की असफलता है। उन्होंने बताया कि भारत के मोटर पार्ट्स निर्यात का मूल्य 35,000 करोड़ रुपए है, जिसमें से आधा प्रभावित हो गया है। उन्होंने कहा कि इन टैरिफों से देश की इंडस्ट्रीज को नुकसान हो रहा है और सरकार को उद्योगों को राहत देने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। भारत-अफगानिस्तान संबंधों पर बोलते हुए ओवैसी ने कहा कि वे दोनों देशों के बीच नई शुरुआत का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि 2016 में ही उन्होंने संसद में कहा था कि तालिबान से बातचीत जरूरी है, लेकिन उस वक्त बीजेपी और मीडिया ने उनकी आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि भारत के लिए चाबहार पोर्ट रणनीतिक रूप से बहुत अहम है, क्योंकि यहीं से अफगानिस्तान तक पहुंच बनाई जा सकती है। ओवैसी ने सवाल किया कि आखिर भारत उस पूरे क्षेत्र पर चीन और पाकिस्तान का नियंत्रण कैसे स्वीकार कर सकता है। जानकारी के अनुसार, ओवैसी उन 59 सांसदों में शामिल थे जिन्हें सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत 33 देशों में भेजा था। यह डेलिगेशन दुनिया के सामने पाकिस्तान के आतंकवाद के चेहरे को उजागर करने के लिए भेजा गया था। ओवैसी अरब देशों की यात्रा करने वाले दल का हिस्सा थे।